shankaracharya on ram mandir:Ayodhya ram mandir में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा में कुछ ही दिन शेष बचे हैं और इसी बीच उत्तराखंड के ज्योतिष पीठ के shankaracharya Avimukteshwaranand Saraswati ने बताया कि चारों शंकराचार्य 22 जनवरी 2024 को होने वाली भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल नहीं हो पायेंगी चुकी यह सनातन धर्म के नियमों का उल्लंघन करके किया जा रहा है और धर्म शास्त्र उन्हें इस बात की आज्ञा नहीं देती है।
भारत में चार प्रमुख ज्योतिष मठ पीठ है (shankaracharya on ram mandir)
शारदा मठ द्वारिका , गुजरात (shankaracharya sadanand saraswati)
ज्योति मठ बद्रिकाश्रम उत्तराखण्ड (shankaracharya avimukteshwaranand saraswati)
गोवर्धन मठ पूरी , उड़ीसा (shankaracharya nishchalanand saraswati)
श्रृंगेरी मठ रामेश्वरम, कर्नाटक(shankaracharya bharat tirtha )
किन कारणों की वजह से नहीं जा रहे हैं चारों शंकराचार्य :-
Shankaracharya Swami avimukteshwaranand saraswati , धर्म शास्त्रों के अनुरूप नहीं हो रही है प्राण प्रतिष्ठा :-
उत्तराखण्ड जोशीमठ के शंकराचार्य Swami avimukteshwaranand saraswati ने बताया कि “ ayodhya ram mandir में 22 जनवरी 2024 को होने वाली भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा बहुत जल्दबाज़ी में की जा रही है चुकी अभी मंदिर निर्माण का कार्य अधूरा है और किसी अपूर्ण मंदिर में देवी देवता की प्राण प्रतिष्ठा करना उचित नहीं माना जाता है और ऐसा करना हमारे सनातन धर्म के धर्म शास्त्र का उलंघन करना मना जाता है ।”
उन्होंने आगे यह भी बताते हुए कहा कि “ चारों शंकराचर्या ayodhya ram mandir के उद्घाटन समारोह में नहीं जाएँगे और हम मंदिर उद्घाटन के विरोध में नहीं हैं पर वे लोग धर्म शास्त्र के विरुद्ध भी नहीं जा सकते “ ऐसा कहते हुए उन्होंने अपनी बात पूरी की ।
आगे बताते हुए कहा कि देश में “ जब गौहत्या पूर्ण रूप से बंद हो जाएगी तो वे लोग राम मंदिर जाएँगे और भगवान श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। “
Shankaracharya Swami nishchalanand saraswati , यह एक राजनीतिक समारोह है :-
गोवर्धन पीठ पूरी , उड़ीसा के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने भी अधूरे ayodhya ram mandir में भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा करने पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि “ यह भगवान श्री राम मंदिर उद्घाटन से ज़्यादा एक राजनीतिक समारोह लग रहा है “।
मीडिया से बात चीत के दौरान उन्होंने कहा कि “ हमारे प्रधानमंत्री गर्भगृह में जाकर देव विग्रह में प्राण प्रतिष्ठा का उपक्रम करेंगे और यह धर्म शास्त्रों का पालन किए बिना किया जा रहा है और जहां शास्त्रीय विधि का पालन नहीं हो वहाँ हमारा रहने का कोई औचित्य नहीं है और आगे मीडिया से सवाल पूछते हुए कहा कि “ यह साधु संतों का काम है तो इतने राजनेता मंदिर उद्घाटन समारोह में क्यों आ रहे हैं ऐसे शास्त्र विरुद्ध समारोह में हम ताली बजाने क्यों जायें , यह एक राजनीतिक समारोह है और सरकार इसका राजनीतीकरण कर चुकी है ।”
“ शास्त्र कहते हैं कि किसी भी अपूर्ण मंदिर में देवी देवता की विधि पूर्वक प्राण प्रतिष्ठा ना होने से उस प्रतिमा में देव विग्रह की बजाय भूत , प्रेत , पिशाच , बेताल आदि का वास हो जाता है और उस प्रतिमा की पूजा करने से अशुभ फल की प्राप्ति होती है “ ऐसा कहते हुए शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने अपनी बात पूरी की ।
Shankaracharya Swami sadanand saraswati :-
द्वारिका ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने मुख्य रूप से तो कुछ नहीं कहा पर वे भी इस समारोह से खुश नहीं दिखे जिससे यह तो स्पष्ट है कि वह भी इस समारोह में शामिल नहीं होंगे ।
Shankaracharya Swami Bharti tirtha :-
दक्षिणाम्नाय श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी भारती तीर्थ में इस शुभ अवसर पर देशवासियों को शुभ कामनाएँ दी और आगे बताते हुए उन्होंने कहा कि “ वह प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा नहीं ले पायेंगे और श्रृंगेरी में ही रहेंगे और कुछ धर्म द्वेषी लोग यह दुष्प्रचार कर रहे हैं कि मैं प्राण प्रतिष्ठा के विरोध में हूँ पर ऐसा नहीं है “ इतना कहते हुए उन्होंने अपनी बात पूरी की ।
वैष्णव संतों ने प्राण प्रतिष्ठा पर क्या कहा ?
Ayodhya में भगवान श्री राम की पुनः प्राण प्रतिष्ठा तक़रीबन 500 वर्षों कि बाद हो रही है और वैष्णव धर्म के धर्म गुरुओं और साधु महंतो ने इस समारोह को सर्वथा उचित बताते हुए कहा कि “ देश-दुनिया में हजारों ऐसे मंदिर हैं जहां निर्माण कार्य पूरा ही नहीं हुआ है. दशकों पहले प्राण प्रतिष्ठा हुई और भगवान की सेवा पूजा चल रही है । अभी के समय राम लला को नये मंदिर में ले जाने का है और सभी समय और मुहूर्त सब उचित है और इस बात पर विवाद उचित नहीं है ।”
वहीं अयोध्या में पंच रामानदीय निर्वाणी अखाड़ा के महंत धर्म दास का कहना है कि मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में सबसे पहले शिखर पूजा का विधान है लेकिन यहाँ तो मूल और पुराने विग्रह की पूजा हो रही है ।
अभी का समय राम लला को नये मंदिर में ले जाने का है चुकी पहले भगवान राम चबूतरे पर खस की झोपड़ी में रहे फिर विवादित ढाँचे में ताले वाले सलाख़ों के पीछे फिर टेंट में और अब अपने स्थाई आवास में जा रहे हैं और इसपर विवाद एकदम अनुचित है ।
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