gyanvapi case asi report on gyanvapi: आज यानी की 25 जनवरी 2024 को ASI (archeological survey of India) ने वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के सामने काशी विश्वनाथ मंदिर के बग़ल में स्तिथ ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे हिंदू मंदिर के होने के सम्दर्भ में रिपोर्ट पेश की ।
प्रयागराज हाई कोर्ट के आदेश के बाद ASI विभाग ने ज्ञानवापी मस्जिद में जाँच पड़ताल शुरू की यह जानने के लिए की 17वीं शताब्दी में बने ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे पहले से कोई हिंदू मंदिर है या नहीं ।
आसान शब्दों में कहे तो 17वि शताब्दी से पहले उस मूल स्थान पर पहले विश्वेश्वर मंदिर था और सन् 1669 में औरंज़ेब ने मंदिर को तोड़ने का आदेश दिया और वहाँ पर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण कराया ।
18 दिसंबर को ASI ने सीलबंद फाइल कोर्ट के सामने पेश की जिसपर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कोर्ट से गुज़ारिश कड़ी की ASI की रिपोर्ट को सबके सामने दिखाया जाए ।
आपको बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की माँग की थी जिसको सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष अगस्त में ही ख़ारिज कर दिया था ।
इस सर्वे को अंजुमन इंतज़ामिया मस्जिद कमेटी ने चुनौती दी थी जिसको इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया था ।
ASI ने आदेश के बाद ज्ञानवापी परिसर में सर्वे शुरू किया और वहाँ मंदिर के अस्तित्व के सबूत जुटाने में लग गई ।
क्या रहा आज का फ़ैसला :(gyanvapi case latest asi report on gyanvapi)
ज्ञानवापी मस्जिद (gyanvapi mosque ) में पहले से एक टूटे हुए मंदिर होने के सबूत ASI द्वारा रिपोर्ट में पेश की गई है ।
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि 839 पन्नो के रिपोर्ट में ASI ने ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे एक हिंदू मंदिर के होने का दावा किया है ।
उन्होंने बताया कि ज्ञानवापी परिसर की पश्चिमी दीवार पर हिंदू कलाकृतिओं की गवाही दे रही है ।
सोहन लाल आर्य ने बताते हुए कहा कि औरंज़ेब का मंदिर तोड़ने का फ़रमान ज्ञानवापी परिसर के पश्चिमी दिवारो पर लिखा हुआ मिला है और पाषाणों पर हिंदू देवी देवताओं के चित्र भी मौजूद मिले हैं ।
ASI ने रिपोर्ट में बताया कि ज्ञानवापी परिसर के वज़ूख़ाने में मौजूद शिवलिंग की जाँच की जाएगी ।
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता ने रिपोर्ट पढ़ते हुए बताया कि “ ज्ञानवापी परिसर के बनने से पूर्व वहाँ पर एक मंदिर मौजूद था जिसके ऊपर यह मस्जिद बनाई गई है “
खंभे और स्तंभ :
वर्तमान सर्वेक्षण के दौरान कुल 34 शिलालेख दर्ज किए गए और 32 शिलालेख लिए गए। ये वास्तव में, पहले से मौजूद हिंदू मंदिरों के पत्थरों पर शिलालेख हैं, जिनका मौजूदा ढांचे के निर्माण/मरम्मत के दौरान पुन: उपयोग किया गया है। इनमें देवनागरी, ग्रंथ, तेलुगु और कन्नड़ लिपियों में शिलालेख शामिल हैं। संरचना में पहले के शिलालेखों के पुन: उपयोग से पता चलता है कि पहले की संरचनाओं को नष्ट कर दिया गया था और उनके हिस्सों को मौजूदा संरचना के निर्माण/मरम्मत में पुन: उपयोग किया गया था। इन शिलालेखों में देवताओं के तीन नाम जैसे जनार्दन, रुद्र और उमीश्वर पाए जाते हैं।
मंदिर तोड़ने का आदेश :
हाल ही में हुए सर्वेक्षण के दौरान मस्जिद के एक कमरे से शिलालेख वाला एक पत्थर बरामद हुआ था। हालाँकि, मस्जिद के निर्माण और उसके विस्तार से संबंधित पंक्तियों को खरोंच दिया गया है। यह बात बादशाह औरंगजेब की जीवनी मासीर-ए-आलमगिरी से भी सामने आती है, जिसमें उल्लेख है कि औरंगजेब ने "सभी प्रांतों के राज्यपालों को काफिरों के स्कूलों और मंदिरों को ध्वस्त करने के आदेश जारी किए" (जदु-नाथ सरकार)।
हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां दबी हुई मिलीं :
हिंदू देवताओं की मूर्तियां और नक्काशीदार वास्तुशिल्प सदस्य एक तहखाने में फेंकी गई मिट्टी के नीचे दबे हुए पाए गए। मौजूदा वास्तुशिल्प अवशेष, दीवारों पर सजाए गए सांचे, केंद्रीय कक्ष का काम-रथ और प्रति-रथ, पश्चिमी कक्ष की पूर्वी दीवार पर तोरण के साथ एक बड़ा सजाया हुआ प्रवेश द्वार, ललाट बिंब, पक्षियों और जानवरों की विकृत छवि वाला एक छोटा प्रवेश द्वार अंदर और बाहर सजावट के लिए की गई नक्काशी से पता चलता है कि पश्चिमी दीवार किसी हिंदू मंदिर का शेष भाग है।
Comentarios